क्षणभंगुरता के बोध से युवराज मल्लिकुमार को हुआ
संसार से वैराग्य, ग्रहण की दीक्षा
ललितपुर (उ०प्र०) 19 जनवरी 19-1-2020
महोत्सव में रविवार को तप कल्याणक उत्तररूप विधि विधान के साथ प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार निशांत के निर्देशन में आयोजित हुआ जिसमें सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा, जाप की गई।
दोपहर में 12.35 बजे से यंत्र पूजा हुई इसके बाद महाराज कुम्भ का दरबार, बारात के आगमन की प्रतीक्षा, वैराग्य, नन्ही बालिकाओं ने बारह भावना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया, लौकांतिक देव आगमन की प्रस्तुति पर खूब तालियां बजीं, स्तुति, दीक्षाअभिषेक, वन गमन को पात्रों द्वारा मंचित किया गया।
तपकल्याणक को नाट्यरूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें राज्याभिषेक के बाद उन्हें वैराग्य आ जाता है। संसार की क्षणभंगुरता के बोध से युवराज मल्लिकुमार को संसार से वैराग्य हो गया और उनके जैनेश्वरी दीक्षा की प्रकिया मंचित की गई। इसके बाद दीक्षा विधि हुई।
दीक्षा पालकी उठाने के लिए अनेक लोगों ने लिए व्रत ग्रहण किये। व्रत लेने वालों ने मुनिसंघ को श्रीफल भेंट किया।
आयोजन में आज क्षेत्रीय सांसद अनुराग शर्मा, राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ,मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री कपूरचंद घुवारा, अनिल अंचल अध्यक्ष जैन पंचायत ललितपुर, अशोक गोस्वामी, अजय पटेरिया, अशोक रावत, रमेश लोधी, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा, हरिश्चन्द्र रावत, सूरज चौधरी, विनीता जैन एसडीएम शाहगढ़,ललितपुर जैन समाज से महामंत्री डॉ अक्षय टडैया, श्रीराम पटैरिया, शीलचंद्र अनौरा, राजेन्द जैन, जिनेन्द्र जैन तथा ब्लाक प्रमुख मड़ावरा आदि का महोत्सव समिति द्वारा शाल श्रीफल माला स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया। संचालन डॉ सुनील जैन संचय ने किया।आभार मंत्री अजित जैन स्टील, विजय जैन व आशीष चौधरी ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर सांसद अनुराग शर्मा ने कहा कि जैन समाज की भगवान के प्रति जो आस्था और श्रद्धा है वह अनुकरणीय है। राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ ने कहा कि दिगम्बर संतो की जो साधना है वह स्तुत्य और वंदनीय है। अनिल अंचल ने मुनिश्री का ससंघ ललितपुर आगमन हेतु निवेदन किया।
मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ने इस अवसर पर अपने प्रवचन में कहा कि जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं। जैसे आज आपने देखा युवराज मल्लिकुमार को कैसे संसार से वैराग्य हो गया। उनके पास संसार के सारे वैभव हैं लेकिन जब उन्हें वैराग्य आया तो सारे वैभव को त्याग कर दिगंबरत्व को धारण करते हैं। संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है, अस्थिर है, किन्तु आत्मा का रूप है, आत्मा की संपदा अनंत अक्षय है।
आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया। रात्रि में कंठस्थ कलाकेंद्र दिल्ली की भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई। जिसमें दिल्ली से आये कलाकार मनोज शर्मा की टीम ने भाग्य की एक कहानी प्रस्तुत की। ललितपुर से बसों के माध्यम से सैकड़ों की संख्या में आज जैन श्रद्धालु शामिल हुए साथ ही मड़ावरा, गौना, महरौनी, रमगढ़ा, टीकमगढ़, शाहगढ़, नेकौरा, साढूमल, सोजना,
अतिशय क्षेत्र नवागढ़ और रमगढ़ा पंचकल्याणक समिति ने मुनिश्री के कर कमलों में श्रीफल भेंट किया।
नर से नारायण बनाता है पंचकल्याणक :
डॉ सुनील संचय ने बताया कि पंचकल्याणक के इस तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक विधान से पाषाण भी जीवन्तवत पूज्य हो जाता है। तीर्थंकर मानव से महामानव, सामान्य से विशिष्ट, नर से नारायण बने थे।
संसार से वैराग्य, ग्रहण की दीक्षा
पंचकल्याणक महोत्सव में तप कल्याणक उत्तररूप में उमड़े हजारों श्रद्धालु
सांसद, राज्यमंत्री हुए आयोजन में शामिल
जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं : मुनि श्री
ललितपुर (उ०प्र०) 19 जनवरी 19-1-2020
परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री 108 सुप्रभसागर जी महाराज, मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज, मुनि श्री संस्कारसागर , मुनि श्री आराध्यसागर जी महाराज, मुनि श्री साध्य सागर महाराज जी के पावन सान्निध्य में तथा प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया टीकमगढ़ के प्रतिष्ठाचार्योत्व में सौरई में चल रहे श्री 1008 भगवान मल्लिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ, कलशारोहण महोत्सव के पांचवे दिन रविवार को तीर्थंकर भगवान के तपकल्याणक के उत्तर रूप को भारी बड़ी ही आस्था -श्रद्धा भक्तिभाव के साथ मनाया गया।
महोत्सव में रविवार को तप कल्याणक उत्तररूप विधि विधान के साथ प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार निशांत के निर्देशन में आयोजित हुआ जिसमें सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा, जाप की गई।
दोपहर में 12.35 बजे से यंत्र पूजा हुई इसके बाद महाराज कुम्भ का दरबार, बारात के आगमन की प्रतीक्षा, वैराग्य, नन्ही बालिकाओं ने बारह भावना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया, लौकांतिक देव आगमन की प्रस्तुति पर खूब तालियां बजीं, स्तुति, दीक्षाअभिषेक, वन गमन को पात्रों द्वारा मंचित किया गया।
तपकल्याणक को नाट्यरूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें राज्याभिषेक के बाद उन्हें वैराग्य आ जाता है। संसार की क्षणभंगुरता के बोध से युवराज मल्लिकुमार को संसार से वैराग्य हो गया और उनके जैनेश्वरी दीक्षा की प्रकिया मंचित की गई। इसके बाद दीक्षा विधि हुई।
दीक्षा पालकी उठाने के लिए अनेक लोगों ने लिए व्रत ग्रहण किये। व्रत लेने वालों ने मुनिसंघ को श्रीफल भेंट किया।
आयोजन में आज क्षेत्रीय सांसद अनुराग शर्मा, राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ,मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री कपूरचंद घुवारा, अनिल अंचल अध्यक्ष जैन पंचायत ललितपुर, अशोक गोस्वामी, अजय पटेरिया, अशोक रावत, रमेश लोधी, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा, हरिश्चन्द्र रावत, सूरज चौधरी, विनीता जैन एसडीएम शाहगढ़,ललितपुर जैन समाज से महामंत्री डॉ अक्षय टडैया, श्रीराम पटैरिया, शीलचंद्र अनौरा, राजेन्द जैन, जिनेन्द्र जैन तथा ब्लाक प्रमुख मड़ावरा आदि का महोत्सव समिति द्वारा शाल श्रीफल माला स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया। संचालन डॉ सुनील जैन संचय ने किया।आभार मंत्री अजित जैन स्टील, विजय जैन व आशीष चौधरी ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर सांसद अनुराग शर्मा ने कहा कि जैन समाज की भगवान के प्रति जो आस्था और श्रद्धा है वह अनुकरणीय है। राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ ने कहा कि दिगम्बर संतो की जो साधना है वह स्तुत्य और वंदनीय है। अनिल अंचल ने मुनिश्री का ससंघ ललितपुर आगमन हेतु निवेदन किया।
मुनि श्री सुप्रभ सागर जी ने इस अवसर पर अपने प्रवचन में कहा कि जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं। जैसे आज आपने देखा युवराज मल्लिकुमार को कैसे संसार से वैराग्य हो गया। उनके पास संसार के सारे वैभव हैं लेकिन जब उन्हें वैराग्य आया तो सारे वैभव को त्याग कर दिगंबरत्व को धारण करते हैं। संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है, अस्थिर है, किन्तु आत्मा का रूप है, आत्मा की संपदा अनंत अक्षय है।
आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया। रात्रि में कंठस्थ कलाकेंद्र दिल्ली की भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई। जिसमें दिल्ली से आये कलाकार मनोज शर्मा की टीम ने भाग्य की एक कहानी प्रस्तुत की। ललितपुर से बसों के माध्यम से सैकड़ों की संख्या में आज जैन श्रद्धालु शामिल हुए साथ ही मड़ावरा, गौना, महरौनी, रमगढ़ा, टीकमगढ़, शाहगढ़, नेकौरा, साढूमल, सोजना,
सोमवार को भगवान का ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा जिसमें समवशरण की रचना और दिव्य ध्वनि आकर्षण का केंद्र होगी।
अतिशय क्षेत्र नवागढ़ और रमगढ़ा पंचकल्याणक समिति ने मुनिश्री के कर कमलों में श्रीफल भेंट किया।
नर से नारायण बनाता है पंचकल्याणक :
डॉ सुनील संचय ने बताया कि पंचकल्याणक के इस तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक विधान से पाषाण भी जीवन्तवत पूज्य हो जाता है। तीर्थंकर मानव से महामानव, सामान्य से विशिष्ट, नर से नारायण बने थे।
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