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ललितपुर न्यूज:- भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक, लौकिक एवं ऐतिहासिक महत्व है- विशाल जैन पवा सद्मार्ग दिखाने वाला ही सच्चा मित्र होता है- अहिंसा सेवा संगठन

ललितपुर न्यूज:- भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक, लौकिक एवं ऐतिहासिक महत्व है- विशाल जैन पवा
 सद्मार्ग दिखाने वाला ही सच्चा मित्र होता है- अहिंसा सेवा संगठन
ललितपुर। रक्षाबंधन की पूर्व संध्या मित्रता दिवस के अवसर पर अहिंसा सेवा संगठन के तत्वाधान में रक्षाबंधन के धार्मिक एवं लौकिक महत्व पर ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने कहा हमारे देश में संस्कृति सभ्यता और संस्कारों का इतिहास रहा है। भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक, लौकिक एवं ऐतिहासिक महत्व है। जैन धर्म में रक्षाबंधन को मनाने के पीछे एक अलग ही मान्यता है एवं इसकी कथा कुछ अलग है। यह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था जब 700 मुनियों की रक्षा हुई थी। जैनधर्म के 18वें तीर्थंकर भगवान अरनाथ के तीर्थकाल में हस्तिनापुंर में बलि आदि मंत्रियों ने कपट पूर्वक राज्य ग्रहण कर अकम्पनाचार्य सहित 700 जैन मुनियों पर घोर उपर्सग किया था, जिसे विष्णुकुमार मुनि ने दूर किया था। संगठन के अध्यक्ष अंकित जैन चौधरी ने कहा रक्षाबन्धन का पर्व भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख उत्सव है। इस पर्व से सम्बन्धित अनेक कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। भारत के लगभग सभी धर्मों में यह पर्व अत्यंत आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृजेश जैन शास्त्री ने कहा जैन धर्म में यह त्योहार मात्र सामाजिक ही नहीं वरन आध्यात्मिक भी है। इस त्योहार का सम्बन्ध सिर्फ गृहस्थ से ही नहीं मुनियों से भी रहा है।  संयोजक अभिषेक जैन पाह ने कहा यह दिन श्रवण नक्षत्र, श्रावण मास की पूर्णिमा का था, जिस दिन अकम्पनाचार्य आदि 700 मुनियों की रक्षा विष्णुकुमार द्वारा हुई। विघ्न दूर होते ही प्रजा ने खुशियां मनाई, श्री मुनिसंघ को स्वास्थ्य के अनुकूल आहार दिया, वैयावृत्ति की, तभी से जैन परंपरा में रक्षाबंधन मनाया जाता है। मुख्य संयोजक जितेंद्र कुमार जैन ने कहा रक्षाबंधन के दिन जैन मंदिरों में श्रावक-श्राविकाएं धर्म और संस्कृति की रक्षा के संकल्प पूर्वक रक्षासूत्र बांधते हैं और रक्षाबंधन पूजन करते हैं। इस दिन को याद रखने के लिए लोगों ने हाथ में सूत के डोरे बांधे तभी से यह दिन रक्षाबंधन के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।महामंत्री अभिषेक मोना ने कहा रक्षाबंधन पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय महत्व है। राखी या रक्षा बंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई एवं बहन के भावनात्मक संबंधों का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है। बहन के इस स्नेह बंधन से बंधकर भाई उसकी रक्षा के लिए कृत संकल्प होता है। निर्देशिका अारजू जैन ने कहा रक्षाबंधन की व्यापकता बहुत ज्यादा है। राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, धर्म की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है। समूह प्रवक्ता राजेश कुमार जैन ने कहा प्रकृति की रक्षा के लिए वृक्षों को राखी बांधने की परंपरा भी शुरू हो चुकी है। हालांकि रक्षा सूत्र सम्मान और आस्था प्रकट    करने के लिए भी बांधा जाता है। सोनाली जैन ने कहा रक्षासूत्र भेजकर पराजित राजाओं की महिलाओं ने अपना सम्मान बचाया है, अत: रक्षाबंधन पर्व का धार्मिक लौकिक एवं ऐतिहासिक महत्व भी है। अंत में सभी ने एक दूसरे को मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी एवं विशाल जैन ने कहा कि सम्बन्ध या रिश्ता कोई भी हो भावनात्मक जुड़ाव, सुख-दु:ख में सहभागिता एवं सद्मार्ग दिखाने वाला ही सच्चा मित्र होता है। इस मौके पर अध्यक्ष अंकित जैन चौधरी महरौनी, महामंत्री अभिषेक जैन मोना भोपाल , मुख्य संयोजक जितेन्द्र कुमार  जैन तालबेहट, बृजेश कुमार जैन  शास्त्री बड़ागांव, समूह प्रवक्ता राजेश कुमार जैन महरौनी, संयोजक अभिषेक जैन पाह, निर्देशक आरजू जैन तालबेहट, कोषाध्यक्ष सोनाली जैन, मंत्री आशा जैन नावई, ऑडिटर ज्योति जैन कारीटोरन एवं किरन जैन गुढ़ा आदि मौजूद रहे।
सलाम खाकी न्यूज से प्रदेश ब्यूरो
पत्रकार इन्द्रपाल सिंह की रिपोर्ट

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