मंसूरी समाज के तथाकथित चौधरियो की प्रथा क्या होगी समाप्त...
मुज़फ्फरनगर 4 अक्टूबर 2019
समाज के सम्मानित व्यक्तियों का क्या कहना हैं
आस मोहम्मद कैफ ने बताया कि चौधरी से मतलब नेता से है, नेता वो होता है जो समाज के काम आएं । जहां तक मैं समझता हूँ सत्तार मंसूरी हमेशा बिरादरी के हित लिए सँघर्ष करते रहे हैं। यकीनन उनमें लीडर वाली खूबी है। निजी तौर पर मैंने सत्तार मंसूरी को बिरादरी के लिए फिक्रमंद देखा है।
आजकल नामनिहाद (खुदबखुद) नेता बनने का चलन है।आज़ाद ख्याल लोग हैं। ऐसे लोग बदकिस्मती से अपने अब्बू को भी बड़ा नही मानते , इन्हें लगता है कि वो अपने बाप से भी ज्यादा जानते हैं । नेतृत्वविहीन समाज ऐसे ही आपस मे झगड़ता है । मुजफ्फरनगर की मंसूरी बिरादरी को सत्तार मंसूरी की जरूरत है।कुछ कमियां थी उनमें, गुस्सा जल्दी आता था । मगर दिल के सच्चे है।
कोंग्रेस के वरिष्ठ नेता व वार्ड 47 के सभासदपति मो. उमर एडवोकेट ने कहा बिरादरी में बिना चौधरी के बात नही बनेगी क्योकि समाज मे अगर जिम्मेदार लोग नही रहेंगे तो आज भी मेने देखा हैं चाहे शहर हो या गांव तो जिम्मेदार लोगों की जरूरत पड़ती हैं समाज मे कुछ विवाद ऐसे होते हैं जो कि जिम्मेदार लोग ही फैसला के करते हैं और फिर वह फैसला कराया हुआ अच्छे से चलता हैं । हां रही बात भात - बरी बोलने वाला मामला इसमें कोई बुराई तो नही हैं और अच्छाई भी नही हैं । किसी शादी में अगर बेटी कोई चौधरी भात - बरी बोलने को लेकर वहा से रूठकर चला जाता हैं या झगड़ा करता हैं तथा उसकी इज्जत उतारता हैं शादी में रंग में भंग डालता हैं तो वह बिल्कुल गलत हैं समाज में उसके खिलाफ विरोध चाहिए चाहे वह कोई भी हो तो मै तो यही कहता हूं कि समाज मे छोटे - बड़े का सम्मान हो ।
सपा के वरिष्ठ नेता व वार्ड 50 के सभासद तथा मंसूरी समाज के चौधरी अब्दुल सत्तार मंसूरी का कहना हैं कि मुजफ्फरनगर की बिरादरी ने मुझे जिम्मेदार मानते हुए पगड़ी बांधी गई थी उस तरीके से बिरादरी ने किसी को भी पगड़ी नहीं बांधी हैं जो कि कुछ लोग जबरदस्ती के चौधरी बने फिर रहे हैं जो कि ये बिरादरी में विवाद का कारण बन हुआ है । जबकि मुझे चौधरी बनाने के बावजूद भी में समाज की हित के लिए कार्य करता हूं । शादी - विवाह में भात - बरी बोलने का रीति रिवाज बना हुआ है मै उसमे जिद नही करता ।
जबकि सब लोग बिरादरी के चौधरी नही होते और जब सब अपने आप को चौधरी मानते हैं तो तो वहाँ विवाद की ही स्थिति बन जाती हैं । हाँ वह अलग बात हैं कि एरिये के चौधरी हो वो ठीक है । लेकिन हमारा मकसद समाज को तरक्की की तरफ ले जाना है ।
वसीम मंसूरी का कहना हैं कि मंसूरी समाज में कुछ आपने आप को चौधरी कहलवाने वाले लोग शादी - विवाह में अड़चनें पैदा करते हैं , जो कि कुछ लोग ये कहते हैं कि हम उन चौधरियो का विरोध किया जायेगा । लेकिन मेरा मानना यह हैं कि विरोध से समाज मे बहुत बिखराव पैदा होगा तथा तनाव की स्थिति भी पैदा होगी । इससे तो अच्छा है कि कही पर एक बड़ी पंचायत रख ली जाए । और उसमें चौधरी चुनने के लिए एक चुनाव का एजेंडा तैयार किया जाए जो कि 5 वर्ष के लिए होना चाहिए और कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता हैं और अगर चुनाव जीतने के बाद वो समाज का प्रतिनिधित्व सही नही करता तो उसको हटाकर दूसरे को उसके स्थान पर बनाया जाए । और रही बात नाम के सामने चौधरी लिखना आपना पर्सलन मेटर हैं । उस पर कोई रोक नही हैं । लेकिन समाज का एक चौधरी एक ही होता हैं ।
गुलजार मंसूरी ने बताया कि बिरादरी में जो फर्जी चौधरी बने घूम रहे हैं जो कि शादी में बेवजह झगड़े का सबब बनते हैं उनका हर जगह विरोध किया जायेगा ।
अरशद मंसूरी ने बताया कि
बिरादरी के सभी जिम्मेदार भाइयों और चौधरियों से मेरी अपील है कि यह भात - बरी बोलने या ना बोलने यह कौन बोलेगा और कौन नहीं यह सब फालतू के मुद्दे हैं जो खत्म होना चाहिए । और बिरादरी के हक में निम्न मुद्दों पर मेहनत व लगन से काम करना चाहिए जैसा कि बिरादरी में फैली बुराइयों को दूर करना बिरादरी के आपसी झगड़ों में समझौता कराना बिरादरी में एकता पर बल देना बिरादरी के आपसी झगड़ों के कारण हो रहे मुकदमों को फैसला करा कर खत्म कराना बिरादरी में जो बहन बेटी बेवा वे तलाकशुदा घर पर बैठी हैं उनका निकाह कराना जिन बहन बेटियों के गरीबी के कारण शादी नहीं हो रही है उनकी शादी करानाबिरादरी के जो बच्चे हैं पढ़ना चाहते हैं और गरीबी के कारण नहीं पढ़ पा रहे हैं उनकी पढ़ाई में सहयोग करना और जो बेरोजगार हैं उन्हें सहयोग कर रोजगार के लिए प्रेरित करना
बिरादरी के जो लोग गंभीर बीमारी से पीड़ित है और गरीबी के कारण उनके सही से इलाज नहीं हो पा रहे हैं उनके इलाज में सहयोग करना
और हर वह काम करना जिससे समाज को बढ़ावा मिल सके और एकता बनी रहे ।
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