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ललितपुर न्यूज:- संयम को धारण कर उत्तम तप और त्याग की भावना आंतरिक परिणामों को शुद्ध बनाती है- विशाल जैन पवा*मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज का 63 वां अवतरण दिवस मनाया।जैन प्रतिभा खोज मंच तालबेहट द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने भक्ति नृत्य की सुन्दर, आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

ललितपुर न्यूज:- संयम को धारण कर उत्तम तप और त्याग की भावना आंतरिक परिणामों को शुद्ध बनाती है- विशाल जैन पवा*

मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज का 63 वां अवतरण दिवस मनाया।
जैन प्रतिभा खोज मंच तालबेहट द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने भक्ति नृत्य की सुन्दर, आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
ललितपुर । आज 30 अगस्त भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की बारहवीं को दसलक्षण पर्यूषण महापर्व के आठवें दिन जैन धर्माबलम्बियों ने उत्तम त्याग धर्म को अंगीकार किया। शनिवार को तप धर्म की पूजन विधान के साथ  मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज का 63 वां अवतरण दिवस मनाया। देश में फैली वैश्विक महामारी एवं कोरोना वायरस की मुक्ति एवं विश्वशांति की मंगल भावना के साथ सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में पुजारी शिखर चंद जैन गंज वासौदा, तालबेहट के पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चौधरी चक्रेश जैन एवं वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में अनिल कुमार जैन के नेतृत्व में अभिषेक शांतिधारा का आयोजन किया गया एवं श्रद्धालुओं ने घर में ही पूजन विधान किया। चौधरी धरमचंद जैन ने कहा तप का असली मतलब है कि समस्त क्रिया-कलापों के साथ अपनी इच्छाओं और ख्वाहिशों को वश में रखना, ऐसा तप अच्छे गुणवान कर्मों में वृद्धि करता है। चौधरी ऋषभ जैन ने कहा उत्तम त्याग पर्यूषण दसलक्षण पर्व का आठवाँ दिन होता है, 'त्याग' शब्द से ही ज्ञात होता है कि इसका मतलब छोडना है और जीवन को संतुष्ट बनाकर अपनी इच्छाओं को वश में करना है। छोडने की भावना जैन धर्म में सबसे अधिक है, क्योंकि जैन-संत सिर्फ अपना घर-द्वार ही नहीं, अपने कपड़े भी त्याग देते हैं और पूरा जीवन दिगंबर मुद्रा धारण करके व्यतीत करते हैं। पंडित विजय कृष्ण शास्त्री ने कहा उत्तम त्याग धर्म हमें यही सिखाता है कि मन को संतोषी बनाकर ही इच्छाओं और भावनाओं का त्याग करना मुमकिन है। सनत जैन के डी ने कहा तीर्थंकरों जैसी तप-साधना करना वर्तमान समय में शायद संभव नहीं है, पर हम भी ऐसी ही भावना रखते हुए पर्यूषण पर्व के 10 दिनों के दौरान व्रत उपवास कर उनकी राह पर चलने का प्रयत्न करते हैं। अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने कहा कि चारों प्रकार की कषाय क्रोध मान माया लोभ को छोड़कर सत्य को धारण करने के बाद संयम की साधना की जाती है। संयम को धारण कर उत्तम तप और त्याग की भावना आंतरिक परिणामों को शुद्ध बनाती है।
  जैन प्रतिभा खोज मंच तालबेहट द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता के अंतर्गत4 से 8 वर्ष के आयु वर्ग वाले 23 बच्चों एंजेल, एनी, प्रासी, आरोही, आगम, निमिषा, भाविक, अर्ची, सात्विक, दक्ष, ओशी, मोक्षी, दिशु, जिनीषा, आर्या, अनिका, धृति, इतिशा, नवम, एरांसी, दक्ष, सिद्धम, मिष्ठी जैन एवं 8 से 14 वर्ष की आयु वर्ग वाले 30 बच्चों पवित्र, ग्रन्थ, अंश, अक्षरा, अर्चित, अवनि, अान्या, दर्श, स्तुति, पार्थ, अनुकल्प, तेसी, आशी, अविरल, अषेश, तथा, वीर, अंश, मुद्रा, भूमि, स्वस्ति, सास्वत, अतिशय, सत्यम, आन्वी, आकर्ष, मौली, अचल, अनुषा, मिति जैन एवं 14  वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 18 प्रतिभागियों पारुल मोदी, सुजया मोदी, अदिति जैन, अनुश्री मिठया, समीक्षा मोदी, रितिका मोदी, प्रियंका जैन, महक मोदी, आस्था जैन, श्वेता चौधरी, पलक मोदी, स्वीटी बजाज, नीलू जैन, रूबी जैन, महक जैन, निकिता जैन, इशिका जैन, आन्या मोदी ने भक्ति नृत्य की सुन्दर, आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

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